क्या बन जाएगा मछुआरा भाईयो के लिए कल्याण बोर्ड

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बंगाली मछुआरों को कितना होगा फ़ायदा?
चंद्रपुर :
चुनाव आते ही राज्य मत्स्यपालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने मछुआरा समुदाय से अपनी बात रखी है. मंत्री ने आश्वासन दिया कि मछुआरा भाइयों की सुरक्षा के लिए एक कल्याण बोर्ड की स्थापना करेंगे. सवाल है कि बंगाली समाज के मछुआरों को इसमें लिया जायेगा क्या? उनको कितना फ़ायदा मिलेगा? चंद्रपुर में तो बंगाली समाज के मछुआरों पर अन्याय ही होता आ रहा है.
अब चंद्रपुर निवासी राज्य के मत्स्य संवर्धन मंत्री ने 30 सितंबर को मुंबई में एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक ली. वहा प्रशासन को निर्देश देकर तुरंत एक नया भूजल निगम स्थापित करने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों को मत्स्य पालन संस्था की कर्ज़ माफी का प्रस्ताव तैयार करने का भी निर्देश दिया. इस समय एक भी बंगाली समाज का प्रतिनिधी उपस्थित नहीं था. ऐसे में नेताओ पर विश्वास कैसे करें? ऐसा सवाल यहां पूछा जा रहा है.
जानकारी है कि जिला परिषद, जल संसाधन विभाग के अधिकार क्षेत्र में पूर्व माल गुजारी तालाबों की संख्या बड़ी है. इस वर्ष चंद्रपुर जिले में भारी बारिश के कारण इन तालाबों से मछली के बीज व मछलियां बह गयीं. इससे मछली पकड़ने वाले मछुआरों को भारी नुकसान हुआ है. इसलिए महाराष्ट्र में जलाशयों में मछली पकड़ने वाले समुदायों के विकास के लिए तुरंत एक नया भूजल कल्याण बोर्ड आवश्यक था. आश्वासन तो दिया गया है कि ये कल्याण बोर्ड बनेगा और इसका ऑफिस नागपुर में होगा. महाराष्ट्र में पूर्व विदर्भ के चंद्रपुर, भंडारा, गड़चिरोली और गोंदिया जिले में सबसे ज्यादा मछलियां पकड़ी जाती है. इस व्यवसाय पर एक बडा समुदाय अपना गुजारा करता आ रहा है. मत्स्य संवर्धन विभाग बहुत पुराना है. लेकिन कभी इधर ध्यान नहीं दिया गया. मुम्बई, कोंकण और पश्चिम महाराष्ट्र के तरफ कोली समाज के वोटों पर नज़र रख वहा समुंदर में मछलियां पकड़ने वाले लोगों के लिए भरपूर सुविधाएं दी गई. ऐसे में अब जब चुनाव सामने है तो मत्स्य संवर्धन मंत्री को कोली, ढीमर मछुआरा समाज याद आ रहा है. अब बोर्ड बनाने की बात हुई है. इस बोर्ड के बनने पर भूगर्भ जल भण्डार संगठन एवं मछुआरा समुदाय का सर्वांगीण विकास होगा ऐसा दावा किया जा रहा है.
*मछली के बीज खरीदने मिलेगा पैसा?*
मंत्री के निर्देश के बाद मत्स्य पालन संस्थान के लिए प्रति हेक्टेयर 1500 किलोग्राम मछली उत्पादन की अनिवार्यता की शर्त को रद्द कर दिया गया है. जिला कलक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि यथाशीघ्र संस्था के खाते में मत्स्य बीज अनुदान का भुगतान किया जाए. अधिकारियों को तत्काल तदनुसार कार्रवाई करने का निर्देश मंत्री ने दिया है इसके साथ ही नायलॉन यार्न नेट, डोंगे की सब्सिडी तुरंत सदस्यों के खाते में जमा होने की संभावना है.

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