उद्योग लगेंगे, रोजगार भी बढ़ेगा
चीन की तर्ज पर ग्लोबल वार्मिंग से बचने का नैचुरल तरीका
चंद्रपुर दि.
भीषण गर्मी जिसकी पहचान है ऐसे चंद्रपुर शहर में गर्मी को नैचुरल तरीके से कम करने की पहल कुछ बांस प्रेमियों ने की है. इस तरीके पर स्थानीय भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार ने अमल करने की बात कही है. जल्द ही जिलाधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख, चंद्रपुर थर्मल पॉवर स्टेशन के सीई और सामाजिक वनीकरण के प्रमुख के साथ बैठक लगाई जाएगी.
चंद्रपुर में मुख्य रूप से ताप बिजली केंद्र के कारण प्रदूषण ज्यादा है. वायु प्रदूषण तापमान में वृद्धि करता है. शहर को वेकोलि की खदाने तथा कुछ ही दूरी पर स्टील प्लांट, इस्पात, सीमेंट उद्योग है. मशीनों से वायु प्रदूषण कम करने से सभी उद्योग कन्नी काटते है.
*ये बांस का फंडा क्या है?*
बांस अन्य पौधों से 35 प्रतिशत ज्यादा आक्सीजन देता है. कार्बन सोख लेने में भी यह आगे है. जमीन की धूप रोकना, जल स्तर बढ़ाना, सूखा रोकना और ठंडक देना ये बांबू के गुणधर्म है. चीन जैसे देशों में इसका पूरा पूरा उपयोग हो रहा है. इस लिए यहां जहां भी खुली जगह, बाग बगीचे, सरकारी कार्यालयों के सामने की जगह, मुख्य सड़क के डिवाइडर, उद्योग कंपनियों की खुली जगह, सामाजिक वनीकरण अंतर्गत पौधारोपण इत्यादि में जितना अधिक हो सके उतना बांस का रोपण करना कारगर होगा.
*विधायक जोरगेवार ने सराहा*
शहर परिसर में खुली जगहों का शोध लेना चाहिए. सीएसटीपीस और वेकोलि समेत अन्य उद्योगों के पास कितनी जगह खाली है? उसका डेटा लेना और उसके बाद बांस रोपण का नियोजन ऐसा आगामी बरसात में हुआ तो चंद्रपुर शहर में पर्यावरण कुल हो सकता है. इसके साथ बांबू क्लस्टर और पर्यटन के लिए विधायक जोरगेवार खुद उत्सुक है. ज्ञापन देते समय विश्वजीत शाहा, अजिंक्य शास्त्रकार, हरीदास बिस्वास, आशीष देव, गौतम सागोरे भी मौजूद थे.
*पूरक छोटे व्यवसाय होंगे आबाद*
बांस लगेंगे तो इस पर आधारित छोटे उद्योग लगेंगे. इस पर दर्जनों रोजगार बनेंगे. पहले से काम करने वालों को आधार मिलेगा. सीएसटीपीएस और वेंकोलि जैसे उद्योगों से 5 लाख तक की मशीनरी अपने कैंपस में लगाने की सख्ती करे तो ट्रेनिंग भी मिलेगी. शोध और एडवांस ट्रेनिंग के लिए इन उद्योगों से सीएसआर से फेलोशिप दी जाती है तो यहां के होनहार विकास में बड़ी भूमिका निभा पाएंगे. बांबू प्रेमी हरित विकास कृति समिति के संयोजक मिलिंद मनोहर सप्रे और सह संयोजक मुकेश वालके ने बताया कि इसके लिए जनजागृति भी जरूरी है.