बंगाली कॅम्प भागवत कथा का दुसरा पुष्प
श्री वृंदावन धाम के योगेंद्र कृष्ण शास्त्री जी का कथन
चंद्रपूर, दि.
मन की शांति आज समस्त संसार में बड़ा चर्चा का विषय है. श्रीमद् भागवत जी में हजारों साल पहले ही इसका समाधान दे दिया था. मन की शांति के लिए ध्यान करना जरूरी है. मंत्र जाप से भी बड़ा लाभ मिलता है. यह विचार श्री वृंदावन धाम के कथा प्रवक्ता योगेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने गुरूवार को रखें.
सोनम बहुउद्देशीय संस्था की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे पुष्प को पिरोते हुए महाराज श्री ने सृष्टि वर्णन और सुखदेव आगमन तक की कथा सुनाई.
भागवत कथा में राजा परीक्षित की कथा से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मन अशांत होने पर ध्यान और मंत्र जप करने से शांति मिलती है. आज इसी की खोज समस्त संसार कर रहा है. महाराज श्री ने कथा विस्तार में बताया कि राजा परीक्षित को भागवत कथा शुकदेव ने सुनाई थी. राजा परीक्षित को मृत्यु का भय था. राजा परीक्षित को समीर ऋषि के गले में मरे हुए सर्प की माला डालने से श्राप लगा था. शुकदेव ने राजा परीक्षित को बताया कि मन अशांत होने पर भगवान का ध्यान करना चाहिए और मंत्र जप करना चाहिए.
राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से सात दिनों तक भागवत कथा सुनी. कथा सुनने के बाद परीक्षित का मन शांत हो गया और जन्म-मृत्यु का डर खत्म हो गया. सातवें दिन तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डंस लिया था. तात्पर्य भागवत कथा पाप क्षालन करती है. दोषमुक्त करती है, ऐसा उन्होंने कहा. इस बीच श्री शिव पार्वती विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया. कथा सफलतार्थ आयोजक संस्था के अध्यक्ष निताई घोष, कार्याध्यक्ष बिस्वजीत शाहा, अमोल हालदार, रमेश सरकार, कमलेश दास, मदन शाहा, मंदिर कमेटी के सन्तोष चक्रवर्ती, आर. जी. शाहा, सुखेंदु चक्रवर्ती, मनोरंजन रॉय, श्री. सरकार, नंदू भैया आदि समेत सभी प्रयासरत है.